Tulsidas ka jivan parichay|तुलसीदास जी का जीवन परिचय
सामान्य परिचय – भक्ति धारा के प्रतिनिधि कवि तुलसीदास जी का जन्म संवत 1589 को हुआ था। माना जाता है कि तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के बॉंदा जिले के राजापुर नाम के एक छोटे से गांव में हुआ था। तुलसीदास जी की माता का नाम हुलसी तथा पिता का नाम आत्माराम दूबे था। तुलसीदास जी ने ही प्रसिद्ध महाकाव्य रामचरित मानस की रचना की थी।
तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के अलावा, वाल्मीकि ऋषि, गीतवाली, दोहावली, संस्कृत रामायण आदि काव्यों की रचना की थी। तुलसीदास जी भगवान राम के सच्चे भक्त एवं अनुयायी थे।तुलसीदास जी की प्रारम्भिक शिक्षा उनके गुरु नर सिंह दास जी के आश्रम में हुई थी। जब तुलसीदास जी 7 वर्ष के थे।तुलसीदास जी के जन्म के संबंध में एक बहुत ही चर्चित प्रसंग सुनने को मिलता है की तुलसीदास जन्म के समय 12 माह तक अपनी मां के गर्भ में थे।
जब तुलसीदास जी का जन्म हुआ तो वह काफी हष्ट पुष्ट बालक के रूप में दिखाई दे रहे थे एवं तुलसीदास जी के मुंह में दांत थे।अपने जन्म के साथ ही तुलसीदास ने राम नाम लेना शुरू कर दिया था। जिस कारण तुलसीदास जी के बचपन का नाम “रामबोला” पड़ गया। नर सिंह बाबा जी के आश्रम में रहते हुए तुलसीदास जी ने 14 से 15 साल की उम्र तक सनातन धर्म, संस्कृत, व्याकरण, हिन्दू साहित्य, वेद दर्शन, छः वेदांग, ज्योतिष शास्त्र आदि की शिक्षा प्राप्त की।
शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् उन्होंने गृहश्त जीवन अपना लिया। तुलसीदास जी का विवाह बुद्धिमती नाम की लड़की से 1526 ईस्वी (विक्रम संवत 1583) में हो गया था। विवाह के कुछ समय पश्चात् ही उनकी पत्नी का निधन हो गया था। तुलसीदास जी प्रमुखता राम भक्ति धारा के प्रतिनिधि कवि थे। उन्होंने भगवान राम को ही आराध्य मन कर अपनी रचना लिखी।
जन्म – मृत्यु = 1511 ई०से 1623 ई०
जन्म स्थान = बाँदा ( उत्तरप्रदेश )
उपाधि = गोस्वामी
गुरूजी = नरसिंहदास
साहित्यक परिचय
अवधी, ब्रज और संस्कृत भाषा में लेखन कार्य किया।तुलसीदास जी ने अवधि तथा बृज दोनों भाषाओं में अपनी काव्यगत रचनाएं लिखीं। रामचरितमानस अवधि भाषा में है, जबकि कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका आदि रचनाओं में ब्रज भाषा का प्रयोग किया गया है। रामचरितमानस में प्रबंध शैली, विनय पत्रिका में मुक्तक शैली और दोहावली में साखी शैली का प्रयोग किया गया है।
भाव-पक्ष तथा कला-पक्ष दोनों ही दृष्टियों से तुलसीदास का काव्य अद्वितीय है। तुलसीदास जी ने अपने काव्य में तत्कालीन सभी काव्य-शैलियों का प्रयोग किया है। दोहा, चौपाई, कवित्व, सवैया, पद आदि काव्य शैलियों में कवि ने काव्य रचना की है। सभी अलंकारों का प्रयोग करके तुलसीदास जी ने अपनी रचनाओं का अत्यंत रोचक बना दिया है।
तुलसीदास जी की प्रमुख रचना इस प्रकार है।
- रामचरित मानस
- गीतबली
- दोहावली
- संस्कृत रामायण
- पार्वती मंगल
- जानकी मंगल
- विनय पत्रिका
रामचरितमानस : रामचरित मानस मे तुलसीदास जी भगवान राम के सम्पूर्ण जीवन का वर्णन किया है। उन्होंने भगवान राम के बचपन से लेकर अंतिम समय तक का वर्णन किया है। जिसमे सात सर्ग है।
गीतावली: तुलसीदास जी ने अपनी रचना गीतवाली में रामायण के प्रसिद्ध प्रसंग भरत और राम के मिलन को गीत के रूप में प्रदर्शित किया है। यह काव्य रामचरितमानस का ही एक भाग है। गीत में आपको रामायण के उत्तरकाण्ड कथा की झलक देखने को मिलती है।इसके अलावा आपको गीतावली में सीता मां के वाल्मीकि आश्रम में आने का प्रसंग भी देखने को मिलता है।
दोहावली: दोहावली काव्य रचना में तुलसीदास ने भगवान राम के चरित्र का वर्णन किया है। चरित्र वर्णन के साथ तुलसीदास जी ने इस काव्य में भगवान राम के मनमोहक शांत स्वरुप को प्रदर्शित किया है।
नोट : गोस्वामी तुलसीदास जी भक्ति धारा के राम भक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि थे। उन्होंने अपनी रचना से जो योगदान दिया बो भारतीय साहित्य मे सदा आदणीय रहेगा।
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